प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में तकरीबन दो साल बाद शिक्षकों के रिक्त करीब सात हजार से ज्यादा पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति होने तक इन्हें रखा जा सकेगा। इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है। अहम बात ये भी है कि पुराने करीब साढ़े चार हजार अतिथि शिक्षकों को भी तैनाती मिल सकेगी।
नए साल के पहले महीने में मकर संक्रांति पर्व अतिथि शिक्षकों और राज्य सरकार, दोनों के लिए खुशियां लेकर आया। सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने से तकरीबन दो साल से अतिथि शिक्षकों की माध्यमिक विद्यालयों में तैनाती में पेच फंसा था। इस वजह से साढ़े चार हजार से ज्यादा कार्यरत अतिथि शिक्षक परेशान थे। अब उन्हें राहत मिल गई है। अतिथि शिक्षकों की तैनाती पर रोक लगने का सीधा असर विद्यालयों में छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा था।
फिलवक्त सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में प्रवक्ता के 4598 और एलटी के 2512 पद रिक्त हैं। रिक्त पदों पर नियमित भर्ती करने में लंबा वक्त लग रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार को अपने आदेश में राज्य सरकार की बड़ी दिक्कत दूर कर दी। शिक्षा मंत्री अर¨वद पांडे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से सरकार राहत महसूस कर रही है। अब विद्यालयों को शिक्षकों की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कार्यरत रहे करीब साढ़े चार हजार अतिथि शिक्षकों की दोबारा तैनाती की राह भी खोल दी है। अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति मामले में विभाग को आगे की कार्यवाही के लिए निर्देश दिए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि ‘दैनिक जागरण’ ने बीती 11 जनवरी को ‘अतिथि शिक्षक मामले में 14 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई’ शीर्षक से प्रकाशित खबर में अतिथि शिक्षकों को राहत मिलने के संकेत दिए थे। शिक्षा मंत्री ने इस मामले में प्रोटोकॉल तोड़कर वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के साथ ही अपर महाधिवक्ता विनय अरोड़ा से मुलाकात की थी। उन्होंने मामले में पुरजोर पैरवी का अनुरोध किया था।
फैसला