छह अध्यापक एसआइटी जांच में फर्जी पाए गये !

फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) ने छह और मामले पकड़े हैं। इसमें से चार रुड़की, एक देहरादून व एक टिहरी गढ़वाल में शिक्षक के पद पर तैनात हैं। रुड़की में फर्जी मिले चार शिक्षकों में से तीन एक ही स्कूल में तैनात पाए गए हैं। एसआइटी प्रभारी ने इन सभी के खिलाफ मुकदमे के लिए शिक्षा महानिदेशक को संस्तुति भेज दी है। जुलाई 2017 से चल रही जांच में अब तक 79 फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके हैं।


एसआइटी प्रभारी मणिकांत मिश्र की ओर से शिक्षा महानिदेशक को भेजी गई जांच रिपोर्ट के अनुसार रुड़की में पकड़े गए चार फर्जी शिक्षकों के स्थायी निवास प्रमाण पत्र व जाति प्रमाण पत्र जाली पाए गए हैं। वहीं, देहरादून के कालसी विकासखंड व टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लॉक क्षेत्र के एक स्कूल में तैनात शिक्षक की बीटीसी की डिग्री फर्जी पाई गई है। बता दें कि शासकीय व अशासकीय स्कूलों में फर्जी प्रमाण पत्रों पर भर्ती हुए शिक्षकों की जांच एसआइटी कर रही है। इसके लिए छह टीमें बनाई हैं। एसआइटी इन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों और डिग्रियों का सत्यापन करा रही है। फर्जी प्रमाण पत्रों पर भर्ती हुए 177 शिक्षकों की शिकायतें लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर सरकार से की थी, इसमें से डेढ़ सौ के प्रमाण पत्रों को एसआइटी ने भी संदिग्ध माना।



 


इनके प्रमाण पत्र मिले फर्जी


 


गौतम पाल सिंह: शेखपुरी रुड़की का रहने वाला यह शख्स वर्ष 2009 में भर्ती हुआ था। राजकीय प्राथमिक विद्यालय भौरी, रुड़की हरिद्वार में तैनात है। स्थायी व जाति निवास प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया।


 


इंद्रवीर सिंह, र¨वद्र सिंह व जयवीर सिंह: इन तीनों ने वर्ष 2009 में नौकरी पाई थी। तीनों राजकीय प्राथमिक विद्यालय महमूदपुर रुड़की हरिद्वार में तैनात हैं। इनके स्थायी व जाति निवास प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। इंद्रवीर पूर्वावली गणोशपुर रुड़की, र¨वद्र राजपुतान पश्चिम कुंदन वाली गली रुड़की व जयवीर शिवपुरम पनियाला रोड रुड़की का रहने वाला है।


 


बाबू सिंह: मूलरूप से औरंगाबाद उर्फ सिकंदरपुर तहसील चांदपुर बिजनौर का रहने वाला है। यह राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय लोरली विकासखंड कालसी देहरादून में तैनात है। इसने वर्ष 1996 में सहायक अध्यापक की नौकरी पाई थी। जांच में इसकी बीटीसी की डिग्री फर्जी पाई गई है। बाबू सिंह ने बुलंदशहर की एक युवती के बीटीसी के दस्तावेज को कूटरचित कर डिग्री बनाई थी। इसकी पुष्टि उप रजिस्ट्रार परीक्षा नियंत्रक प्रयागराज उत्तर प्रदेश ने की है।


 


चंद्रपाल: मूलरूप से ज्ञान विहार रसीदपुर गढ़ी बिजनौर के रहने वाले इस शख्स ने डायट मुरादाबाद की बीटीसी की डिग्री लगाई थी। सचिव परीक्षा नियंत्रक प्रयागराज की रिपोर्ट में बताया गया कि इस नाम के किसी शख्स को कभी डिग्री जारी नहीं की गई। यह 1990 में शिक्षा विभाग में भर्ती हुआ था।


 


 


रुड़की के चार, देहरादून व टिहरी गढ़वाल के एक-एक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद इसकी पुष्टि हो गई कि उनके प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इन पर मुकदमे की संस्तुति कर दी गई है। कई शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन की रिपोर्ट आनी शेष है।


 


मणिकांत मिश्र, एसपी सीआइडी, देहरादून


फर्जी प्रमाण पत्रों पर भर्ती हुए 79 शिक्षक अभी तक पकड़े जा चुके हैं। जहां तक मुकदमे में हीलाहवाली किए जाने की बात है, तो इस संबंध में संबंधित जिले के एसएसपी से रिपोर्ट मांगी गई है।


 


अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था, उत्तराखंड


फर्जी पाए गए कुछ शिक्षकों को निल¨बत और बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद यह सभी कोर्ट चले गए। इस मामले में विधिक राय ली जा रही है। जहां तक फर्जी मिले शिक्षकों पर मुकदमे की बात है तो अब तक जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें से कुछ को छोड़कर सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है।


 


आरके कुंवर, शिक्षा निदेशक